इस में कोई शक नहीं है की विराट कोहली और रवि शास्त्री के साथ काफी बनती है। रवि शास्त्री विराट कोहली के हिसाब से चलते है। विराट कोहली अपने मनपसंद खिलाड़िओं को खेलना चाहते हैं चाहे वो फॉर्म में हो या ना हो या चाहे वो रन बनाये या न बनाये। जो खिलाड़ी फॉर्म में है उसका टीम में चयन ही नहीं होता है। इस बात का प्रमाण पूर्व कोच अनिल कुंबले के इस्तीफा से पता चलता है।
अनिल कुंबले और विराट कोहली के बीच खिलाड़िओं के चयन को लेकर मतभेद रहता था जैसा की बड़े बड़े अखबारों में उस समय खबर छपी थी। अनिल कुंबले उन खिलाड़िओं को टीम में लेना चाहते थे जो अच्छी फॉर्म में चल रहे थे लेकिन विराट कोहली को वो पसंद नहीं था और टीम चयन के समय वो उन्हीं खिलाड़ी का चुनाव होता था जो कोहली को पसंद था। इसी बात से नाराज हो कर अनिल कुंबले ने कोच पद से इस्तीफा दे दिया।
इसके बाद रवि शास्त्री को पुनः भारतीय टीम का कोच नियुक्त किया गया। दोनों की आपस में काफी बनती है। इंग्लैंड दौरे पर टीम के लचर प्रदर्शन पर वरिष्ठ खिलाड़ियों के कटु आलोचना के बाद भी विराट कोहली और रवि शास्त्री ने उनकी बातों और सलाह का कोई परवाह नहीं की और दो टेस्ट मैचों में अपमानजनक हार के बाबजूद प्रैक्टिस पर ध्यान नहीं दिया।
सुनील गावस्कर के बार बार प्रैक्टिस करने की सलाह की कोई क़द्र नहीं की गयी और तीसरे मैच से पूर्व 6 दिनों में सिर्फ दो दिन दो घंटे का नेट प्रैक्टिस रखा गया। ये मनमानी और अहंकार नहीं है तो और क्या है। जो अपनी शक्ति को दुरूपयोग करते है उन्हें देर सबेर उसका नतीजा भुगताना ही परता है। वीरेंदर सेहवाग ने तो इतना कह दिया की इन खिलाड़िओं के साथ अगर खेले तो 5 - 0 से हारने के लिए तैयार रहें।
नए पीढ़ी के बल्लेबाज पृथ्वी शॉ, मयंक अग्रवाल, ऋषभ पंत ने भारत A की तरफ से खेलते हुए इंग्लैंड लायंस के छक्के छुरा दिए। क्यों नहीं इन्हें मौका दिया जा रहा है। खेर पृथ्वी शॉ और मयंक अग्रवाल टीम का हिस्सा नहीं है लेकिन ऋषभ पंत तो टीम में मौजूद है फिर उसे मौका क्यों नहीं दिया जा रहा जबकि दिनेश कार्तिक एक दिवसीय मैच से लेकर दो टेस्ट में ख़राब प्रदर्श के बाबजूद टीम में बने हुए है। ये कप्तान, कोच और टीम प्रवंधन की मनमानी नहीं है तो क्या है।
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